रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग जो प्रभु श्री राम द्वारा स्थापित, रामेश्वरम तीर्थ स्थल विकिपीडिया

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Ramanathaswamy Temple Wikipedia in Hindi 2024 : रामेश्वर ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है, Ramanathaswamy Temple State जो हिंदुओं की तीर्थ चार धामों में से एक है | उसके साथ साथ यह शिवलिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से भी एक है | जितनी मान्यता भारत के उत्तर में काशी जी की है |

उतनी ही मान्यता दक्षिण में रामेश्वरम तीर्थ की है | इसी जगह पर भगवान राम द्वारा लंका की चढ़ाई करने के लिए राम सेतु का निर्माण कराया गया था | जिस पर चढ़कर वानर सेना द्वारा लंके पर विजय ध्वज फहराया गया था |

एक मान्यता यह भी है कि, भगवान राम द्वारा विभीषण के अनुरोध पर धनुष्कोटी नामक स्थान पर इस रामसेतु को तोड़ दिया गया था | इसकी अवशेष आज भी सागर में दिखाई देती है |पहले के लोग धनुष्कोटी से मन्नार द्वीप तक पैदल ही जाते थे |




हालांकि 1480 के दशक में एक चक्रवाती तूफान ने इसे तोड़ दिया अंग्रेजों के जमाने में जर्मनी इंजीनियर की मदद से एक न्यू पुल रेल लाइन की शुरुआत की गई | वर्तमान में यही पूल रामेश्वरम को भारत से रेल सेवा प्रदान करती है |

रामेश्वरम और सेतु बहुत ही प्राचीन है |Ramanathaswamy Temple History” परंतु रामनाथ मंदिर महज 800 साल पुराना है | जबकि दक्षिण के बहुत सारे मंदिर डेढ़ हजार साल पुराने भी हैं | इस मंदिर में बहुत से निर्माण कार्य 50 से 100 साल पहले की है | रामेश्वरम मंदिर की गलियारा विश्व की सबसे लंबी गलियारा मानी जाती है |

Ramanathaswamy Temple Wikipedia in Hindi

Ramanathaswamy Temple Wikipedia ‘ मंदिर में विशालाक्षी जी के गर्भ ग्रह के निकट ही नौ ज्योतिर्लिंग है | जोकि लंकापति विभीषण द्वारा स्थापित की गई है | रामनाथ की मंदिर में मिले ताम्रपत्र के हिसाब से पता चलता है कि, 1173 ईस्वी में श्रीलंका के राजा पराक्रम बाहु ने गर्भगृह का निर्माण कराया था | Ramanathaswamy Temple Jyotirlinga” इस मंदिर में केवल शिवलिंग की स्थापना की गई है | देवी की मूर्ति नहीं होने के कारण इस मंदिर को नि:संगेश्वर का मंदिर कहां गया |

रामेश्वरम मंदिर शिल्पकला की नायाब नमूना

Ramanathaswamy Temple Wikipedia 2024 : रामेश्वरम मंदिर में भारतीय निर्माण कला एवं शिल्प कला का अद्भुत नमूना देखने को मिल सकता है | इस के प्रवेश द्वार ही 40 फीट ऊंचा है मंदिर प्रांगण के अंदर सैकड़ों विशालकाय खंबे हैं जो देखने में समान दिखाई देते हैं | परंतु पास जाकर जब बारीकी से देखा जाएगा तो मालूम पड़ेगा कि खंबे के हर बेल बूटे की अलग-अलग कारीगरी हुई है |

मंदिर की मूर्ति की चारों ओर परिक्रमा करने के लिए तीन प्रकार की गलियारों का निर्माण किया गया है | जो लगभग 100 साल पुरानी है | यह विश्व में सबसे बड़े गलियारों के रूप में भी जाना जाता है | जिसकी लंबाई 400 फुट से भी अधिक है इसके दोनों ओर 5 फुट ऊंचा तकरीबन आठ चबूतरा बना हुआ है | एक और कालांतर से खड़े बड़े-बड़े पत्थरों के की लंबाई कतार में खड़ी है |

एक सिरे से खड़े होकर देखा जाए तो ऐसा लगता है कि, सैकड़ों तोरण द्वार स्वागत करने के लिए खड़े हैं इस खंभों की अद्भुत कारीगरी देख विदेशी लोग भी दंग रह जाते हैं | मंदिर के अंदर भीतरी भाग में एक तरह की चिकना काला पत्थर लगा है | सुनने में आता है कि, यह पत्थर लंका से लाए गए थे | रामेश्वरम की मंदिर ( Ramanathaswamy Temple ) निर्माण में रामनाथपुरम के रियासत राजाओं का काफी योगदान रहा |

रामेश्वर ज्योतिर्लिंग पौराणिक कथाओं के अनुसार

Ramanathaswamy Temple Wikipedia 2024 : जब रावण द्वारा माता सीता का हरण कर लिया जाता है तो प्रभु श्रीराम द्वारा वन वन भटकते माता सीता को खोजने के दौरान यहां पहुंचा जाता है | और यहां से लंका की चढ़ाई समुद्र पार कर कर जाना होता है जो, एक कठिन कार्य था | भगवान राम द्वारा बिना युद्ध सीता जी को छुड़वाने के अथक प्रयास किया गया |

अपितु रावण मानने को तैयार नहीं था | लंका पर चढ़ाई करने के लिए एवं वानर सेना को साथ ले जाने के लिए प्रभु श्रीराम द्वारा युद्ध में सफलता की ओर विजय प्राप्त करने के लिए अपने आराध्य देव प्रभु शिव जी की रेत से शिवलिंग अपने हाथों से निर्माण किया गया | तत्पश्चात भगवान शिव स्वयं ज्योतिर्लिंग स्वरूप प्रकट हुए और उन्होंने इस लिंक को श्री रामेश्वरम की उपनाम दी | युद्ध के दौरान प्रभु राम द्वारा राक्षस वंश पूर्णता समाप्त हो गया था |

और सीता जी को उन्होंने मुक्त करा कर जब आगे बड़े तो उन्हें ब्रह्म दोष ना लगे क्योंकि रामायण महर्षि पुलस्त्य का वंशज था |ब्रह्मा-हत्या के पाप प्रायस्चित के लिए श्री राम ने युुद्ध विजय पश्र्चात भी यहां रामेश्वरम् जाकर पुुुजन किया। शिवलिंग की स्थापना करने के पश्चात एवं शिवलिंग की काशी विश्वनाथ की सामान्य मान्यता देने हेतु श्रीराम द्वारा हनुमान जी को काशी से एक शिवलिंग लाने को कहा गया |

हनुमान जी पवनसुत तो थे ही आकाश मार्ग से चलें और शिवलिंग लाकर प्रभु श्री राम को समर्पित कर दिए यह देखकर राम बहुत प्रसन्न हुए और रामेश्वर ज्योतिलििंंग के साथ काशी के लिंंग कि भी स्थापना कर दी । यह छोटे लिंग की शिवलिंग रामनाथ स्वामी के रूप में भी जाना जाते हैं |

Rameshwaram Temple Wikipedia

Ramanathaswamy Temple Wikipedia 2024 – महत्वपूर्ण लिंक देखें

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रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग जो प्रभु श्री राम द्वारा स्थापित,

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