बिना नींव खोदे किसी मकान या मंदिर को बनाया जा सकता है| क्या यह संभव है, आइए जानते हैं , एक मंदिर के बारे में

Brihadeshwara Temple :- क्या आपने कभी सुना है बिना नींव खोदे किसी मकान या मंदिर या इमारत बनाई गई हो आप का जवाब यही होगा कि नहीं ,लेकिन वास्तविकता कुछ इससे अलग है | आधुनिक काल में बना एक मंदिर जोकि तमिलनाडु का बृहदेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है | यह बिना नींव खोदे बनाया गया है | इस मंदिर को बनाने में एक नई टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है |

Brihadeshwara Temple
Brihadeshwara Temple

जो पूर्व के लोगों द्वारा किया जाता था | इसे इंटरलॉकिंग या फिर इंटर कॉलिंग विधि कहते हैं | इसके निर्माण में दो पत्थरों के बीच में कोई सीमेंट का प्लास्टर या किसी अन्य प्रकार की चिपचिपा पदार्थ द्वारा इसे जोड़ा नहीं गया है | इसके बावजूद भी लगभग पिछले 1000 वर्षों में कम से कम 6 बड़े भूकंप को झेलने के बाद भी आज भी इसका स्वरूप अनुभव पहले की ही भांति बना हुआ है |

Brihadeshwara Temple

बात की जाए इसकी लंबाई की तो 216 फीट ऊंचा मंदिर उस समय दुनिया का सबसे ऊंचा मंदिर माना जाता था |इसको बनाने में उस वर्ष के समय में लंबी वर्ष की अवधि लगी थी | इस मंदिर के निर्माण के कई वर्षों बाद पीसा की मीनार खराब इंजीनियरिंग की वजह से झुक गया लेकिन वही हजार वर्ष पहले बनाया यह मंदिर पीसा की मीनार से भी काफी पुरानी है | जबकि यह मंदिर जस का तस वैसा ही बना हुआ है |

इस मंदिर के निर्माण में लगभग उस समय 1.3 लाख टन ग्रेनाइट पत्थर का इस्तेमाल किया गया था | उस समय साधन की कोई अतिरिक्त व्यवस्था ना होने के कारण उस समय 3500 हाथियों द्वारा इस पत्थर को 60 किलोमीटर दूर से हाथियों पर लादकर लाया गया था |

Brihadeshwara mandir
बिना नींव खोदे किसी मकान या मंदिर को बनाया जा सकता है| क्या यह संभव है, आइए जानते हैं , एक मंदिर के बारे में 3

इस मंदिर का निर्माण बिना नींव खोदे किया गया था यानी यह मंदिर बिना नींव खोदे द्वारा स्थापित है | मंदिर के टावर शीर्ष पर स्थित शिखर का वजन लगभग 81 टन है | आज के समय में इतनी ऊंचाई पर 81 टन वजनी पत्थर को उठाने के लिए आधुनिक मशीन भी फेल हो जाएंगे |

सोचिए उस जमाने में मंदिर के टावर पर स्थित 81 टन वजनी पत्थर को कैसे पहुंचाया गया होगा | इस मंदिर को बनाने में जितने भी इंजीनियरों का प्रयोग किया गया होगा सोचिए उन की सोचने का और तार्किक सकती कितनी मजबूत होगी

यह आज भी आश्चर्यजनक बना हुआ है. बृहदेश्वर मंदिर के निर्माण के लिए प्रयोग किए गए इंजीनियरिंग के अस्तर को दुनिया के सात आश्चर्य में से किसी भी आश्चर्य के निर्माण की तकनीकी मुकाबले नहीं कर पाएंगे आज के इस तकनीकी को देखकर भविष्य में भी इस मंदिर का निर्माण करना असंभव माना जाता है |

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