Ramakrishna Paramahamsa 187 Birthday 2024 : भारत की मातृभूमि अनेकों प्रकार के महा संतों एवं आध्यात्मिक गुरुओं का विचारधारा की धरती मानी जाती है, उन्हीं में से एक नाम आध्यात्मिक गुरु के रूप में रामकृष्ण परमहंस जी का भी आता है, जिनके बारे में यह बताया जाता है कि उन्हें बचपन में ही विश्वास था कि, वह ईश्वर का दर्शन करेंगे और उनके द्वारा अनन्य ईश्वर की भक्ति कर एवं ईश्वर की कठोर साधना करते हुए ही अपनी जीवन लीला को समाप्त कर दिया |
रामकृष्ण परमहंस का जन्म 16 फरवरी 1836 में बंगाल प्रांत स्थित एक छोटे से गांव कमरपुकुर ग्राम में हुआ था | इनका बचपन का नाम गदाधर था | पिताजी का नाम खुदीराम जबकि माता जी का नाम चंद्रा देवी था | हालांकि रामकृष्ण परमहंस की जन्म से पहले ही इनकी माता-पिता को यह आभास सपनों के माध्यम से हो गया था कि,रामकृष्ण परमहंस विष्णु जी के अवतार हैं जबकि कुछ ही वर्षो बाद 7 वर्ष की अल्पायु में ही उनके पिता का साया उनके सिर से उठ गया था |
इनका बचपन का जीवन एवं भरण पोषण बहुत कठिनाइयों का सामना करते हुए बीता है | रामकृष्ण परमहंस के बड़े भाई जिनका नाम राजकुमार चट्टोपाध्याय था | वह कोलकाता के ही एक पाठशाला में संचालक के काम करते थे |
रामकृष्ण परमहंस की अंतिम जीवन
Ramakrishna Paramahamsa life introduction : रामकृष्ण परमहंस द्वारा अपनी अंतिम समय की स्थिति में समाधि की स्थिति में रहने का निर्णय लिया जाता है और एक समय अवधि के दौरान उनका शरीर शिथिल होने लगती है | हालांकि उनके शिष्यों द्वारा अपने गुरु की स्वास्थ्य की बिगड़ती हालत को देखते हुए भगवान से कामना एवं प्रार्थना किया जाता है जिन्हें देख रामकृष्ण परमहंस द्वारा अपने शिष्यों पर हंसी आती है |
Ramakrishna Paramahamsa life introduction : रामकृष्ण परमहंस जी के परम शिष्य रहे स्वामी विवेकानंद द्वारा उन्हें ठाकुर जी के नाम से पुकारा जाता है | स्वामी विवेकानंद द्वारा हिमालय की किसी बेहतरीन स्थान पर तपस्या करने की चाहत थी | उस तपस्या की अनुमति लेने के लिए जब वह अपने गुरुजी के पास जाते हैं उसी उपरांत रामकृष्ण परमहंस द्वारा विवेकानंद जी को कहा जाता है कि हमारे आसपास के लोग बहुत भूखे हैं, तड़प रहे हैं, चारों ओर अज्ञात घोर अंधेरा है, यहां लोग रोते बिलखते चिल्लाते हैं, और तुम हिमालय के किसी गुफा में समाधि का आनंद लेने की विग्रह कर रहे हो क्या तुम्हारी आत्मा इसे स्वीकार करेगी |
Ramakrishna Paramahamsa : गुरु की इस वाणी को सुनकर स्वामी विवेकानंद द्वारा मानव की सेवा में अपनी पूरी जीवन यापन को समाप्त करने का निर्णय ले लिया जाता है | रामकृष्ण परमहंस उच्च कोटि के योगी माने जाते हैं और उच्च कोटि के साधन विचार धारक भी थे | उन्हें लोगों द्वारा मानव कर भी कहा जाता था | अंत में गले की सूजन द्वारा उन्हें कैंसर हो जाती है |
Ramakrishna Paramahamsa life introduction : डॉक्टरों द्वारा सलाह दी जाती है कि आपको चिकित्सा की जरूरत है रामकृष्ण परमहंस मुस्कुराते हैं और इलाज से मना कर देते हैं | विवेकानंद द्वारा इलाज कराने की कोशिश किया जाता है उसके बावजूद भी वह इलाज से मना करते हैं, और लास्ट में स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण उनकी मृत्यु 16 अगस्त 1886 कोलकाता में ही हो जाती है |
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